बुधवार
रामप्रसाद विस्मिल
फांसी के फंदे से लिखी गई भारत के अमर शहीद महान क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल ने कालकोठरी में फांसी पर झूलने के तीन दिन पहले यह आत्मचरित्र लिखा था-- यह आत्मचरित्र देशवासियों के प्रति कर्तव्य भावना के कारण लिखा गया, पर विडंबना यह है कि आज़ादी के इतने बरसों बाद भी यह सुलभ नहीं है। उनकी शहादत के 75 वें बरस पर प्रस्तुत है यह अमर गाथा- जिसके शब्द-शब्द मंे एक पुकार है, एक प्रेरणा है. यह आत्मकथा भारत के क्रांतिकारी आंदोलन के मार्मिक पहलुओं का स्पर्श करती है.
(पृष्ठः 112) हार्डबाउंडः 150/ पेपरबैकः 60/ (प्रकाश्य)
खुदीराम बोस
राहुल सांकृत्यायन
इंग्रिड बर्गमेन
संयोजन एवं प्रस्तुतिः युगांक धीर
(महान अभिनेत्री इंग्रिड बर्गमेन की जीवन-कथा)
(पृष्ठः 304) ISBN- 81-87524-82-0हार्डबाउंडः 350/ पेपरबैकः 125/
मिलेना
रूसी साहित्यकारों के जीवन की प्रेम-कथाएं
अमृता शेरगिल
मर्लिन मनरो
नज़रूल इस्लाम
लेनिन
शहीद भगत सिंह
(तथ्यों और दस्तावेज़ों पर आधारित प्रामाणिक जीवनी)23 मार्च, 1931 को फांसी के तख़्ते पर एक जीवन ख़त्म हो गया था। पर उसने यह रेखांकित कर दिया था कि विचार और सपने मरते नहीं - वे आगामी युगों की विरासत बन जाते हैं। अंग्रेजी साम्राज्य और फिर उससे बढ़कर पूंजी के साम्राज्य के ख़ात्मे; भारत की राजनीतिक आज़ादी और फिर उससे बढ़कर भारत की कामगार और किसान जनता की आर्थिक आज़ादी - और एक स्वतंत्र, साम्यवादी भारत के निर्माण के विचार पर भगत सिंह ने अपने प्राणों की मुहर लगाई थी। इन्हीं अर्थों में वे शहीद थे - देशभक्त थे - मातृभूमि के किन्हीं अमूर्त किताबी अर्थों में नहीं। ‘भगत सिंह की जय’ का अर्थ है - भारत के मेहनतकश आवाम की जय - साम्राज्यवाद का ख़ात्मा और राष्ट्र का पुनर्निर्माण। यह पुस्तक भगत सिंह के उसी अमर बलिदानी जीवन की कहानी कहती है, जिसकी महिमा तो बहुत गाई गई, पर जिसे समझा नहीं गया। भगत सिंह के क्रांतिकारी-जीवन और उनके विचारों के विकास में गहरा संबंध है - इसी संबंध के रेशों से इस जीवनी की रचना हुई है। (पृष्ठः 320) ISBN- 81-87524-69-3मूल्य - हार्डबाउंडः 250/ पेपरबैकः 75/
जिन्ना
मुक्तिबोध
(कवि-विचारक गजानन माधव मुक्तिबोध की प्रामाणिक जीवनी)मालवा के पठारों में पैदा हुआ एक मामूली आदमी, जिसने एक मामूली जीवन जिया - और एक दुखद मृत्यु में जिसके जीवन की पीड़ाओं का अंत हुआ, कैसे जीवन को बदलने की रचना-प्रक्रिया का पाठ बन गया? क्या था उस जीवन में, जिसने सफलता के चक्करदार घेरों की बजाय समाज के रूपांतरण के अग्नि-स्फुुलिंग अपनी रचनाओं में इकट्ठा किए? भावी-क्रांति के अग्नि-काष्ठ वह बीनता रहा। मुक्तिबोध का आत्मसंघर्ष क्यों इतना मूल्यवान बन गया? मुक्तिबोध की यह जीवनी उनके इसी आत्मसंघर्ष का महाकाव्यात्मक आख्यान है। इसमें समूचा एक युग अपनी संपूर्ण प्रेरणा और हलचल के साथ मौजूद है। हिंदी की वैचारिक विरासत की एक अनमोल थाती।
(पृष्ठः 496) ISBN- 81-87524-34-0मूल्य - हार्डबाउंडः 550/ पेपरबैकः 160/
इजाडोरा डंकन
सिमोन द बोवुआर
पिकासो
चार्ली चैप्लिन
लेखकः गीत चतुर्वेदी