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बुधवार

रामप्रसाद विस्मिल

लेखकः रामप्रसाद बिस्मिल
फांसी के फंदे से लिखी गई भारत के अमर शहीद महान क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल ने कालकोठरी में फांसी पर झूलने के तीन दिन पहले यह आत्मचरित्र लिखा था-- यह आत्मचरित्र देशवासियों के प्रति कर्तव्य भावना के कारण लिखा गया, पर विडंबना यह है कि आज़ादी के इतने बरसों बाद भी यह सुलभ नहीं है। उनकी शहादत के 75 वें बरस पर प्रस्तुत है यह अमर गाथा- जिसके शब्द-शब्द मंे एक पुकार है, एक प्रेरणा है. यह आत्मकथा भारत के क्रांतिकारी आंदोलन के मार्मिक पहलुओं का स्पर्श करती है.
(पृष्ठः 112) हार्डबाउंडः 150/ पेपरबैकः 60/ (प्रकाश्य)

मुक्तिबोध

मुक्तिबोध की आत्मकथा लेखकः विष्णुचंद्र शर्मा

(कवि-विचारक गजानन माधव मुक्तिबोध की प्रामाणिक जीवनी)मालवा के पठारों में पैदा हुआ एक मामूली आदमी, जिसने एक मामूली जीवन जिया - और एक दुखद मृत्यु में जिसके जीवन की पीड़ाओं का अंत हुआ, कैसे जीवन को बदलने की रचना-प्रक्रिया का पाठ बन गया? क्या था उस जीवन में, जिसने सफलता के चक्करदार घेरों की बजाय समाज के रूपांतरण के अग्नि-स्फुुलिंग अपनी रचनाओं में इकट्ठा किए? भावी-क्रांति के अग्नि-काष्ठ वह बीनता रहा। मुक्तिबोध का आत्मसंघर्ष क्यों इतना मूल्यवान बन गया? मुक्तिबोध की यह जीवनी उनके इसी आत्मसंघर्ष का महाकाव्यात्मक आख्यान है। इसमें समूचा एक युग अपनी संपूर्ण प्रेरणा और हलचल के साथ मौजूद है। हिंदी की वैचारिक विरासत की एक अनमोल थाती।


(पृष्ठः 496) ISBN- 81-87524-34-0मूल्य - हार्डबाउंडः 550/ पेपरबैकः 160/


इजाडोरा डंकन

इज़ाडोरा की प्रेमकथा अनुवादः युगांक धीर
इजाडोरा डंकन की आत्मकथा बीसवीं सदी की भोर की महान नर्तकी और एक अत्यंत विवादास्पद और उन्मुक्त स्त्री -इज़ाडोरा डंकन- की आत्मकथा ‘माय लाइफ’ का हिंदी अनुवाद। एक ऐसी अनूठी स्त्री की शब्दयात्रा जिसने अपने समय से सौ साल आगे जीते हुए प्रेम व जीवन के अद्भुत प्रयोग किए। कला और प्रेम की एक अनूठी भावमय दुनिया। विश्व की श्रेष्ठतम आत्मकथाओं में एक, विश्व की संुदरतम आत्मकथाओं में सर्वोपरि!
(पृष्ठः 288) ISBN- 81-87524-08-1मूल्य - हार्डबाउंडः 350/ पेपरबैकः 125/



महान विचारक ज्यां-जाक रूसो की आत्मकथा अनुवादः युगांक धीर

आत्मस्वीकृतियां, भाग-1 व २
अठारहवीं सदी के महान चिंतक, लेखक और दार्शनिक ज्यां-जाक रूसो की आत्मकथा न केवल दुनिया की सबसे पहली प्रामाणिक आत्मकथा है, बल्कि सबसे ज़्यादा बेबाक और चौंकाने वाली भी. मनुष्यों की असाधारण समझ, उनके दिलों में झांकने की असाधारण क्षमता - और इसके साथ ही भाषा पर एक अनूठी और अद्वितीय पकड़ - इसे एक अनुपम कृति बना देते हैं. दो भागों में प्रकाशित आत्मकथा के पहले भाग में बिन मां का बच्चा ज्यां-जाक एक असामान्य बचपन, और फिर उतनी ही असामान्य युवावस्था में से गुज़रता हुआ कई असाधारण स्थितियों और स्त्रियों के संपर्क में आता है - जीवन और उसकी अनंत संभावनाओं को बड़े कौतूहल से टटोलता हुआ-सा! आत्मकथा का पहला भाग जहां रूसो की भावनाओं और व्यक्तित्व के विकास को समर्पित है, वहीं दूसरा भाग उसके सृजनात्मक और वैचारिक विकास को; संभ्रांत महिलाओं और ऊंचे साहित्यकारों-कलाकारों की दुनिया से जुड़े प्रलोभनों और ख़तरों को; और उन षड्यंत्रों को भी, जिन्होंने इस महान लेखक को अपना देश त्यागने और राजनीतिक शरण की तलाश में देश-दर-देश भटकने पर विवश कर दिया. रूसो की आत्मकथा जिं़दगी को एक ऊंचाई से - एक ऊंची नैतिक-शक्ति के साथ - देखने की प्रेरणा देती है।
भाग-1 (पृष्ठः 288) ISBN- 81-87524-61-8 मूल्यः हार्डबाउंडः 350/ पेपरबैकः 120/
भाग-2 (पृष्ठः 320) ISBN- 81-87524-62-6 मूल्यः हार्डबाउंडः 350/ पेपरबैकः 140/