बुधवार

आनंदी गोपाल

लेखकः श्री. ज. जोशी, अनुवादः प्रतिमा दवे
(एक अनूठी स्त्री के विलक्षण जीवन पर आधारित जीवनीपरक उपन्यास)‘आनंदी गोपाल’ जीवनीपरक उपन्यास है. यह मराठी साहित्य में ‘क्लासिक’ माना जाता है और इसका अनुवाद कई भाषाओं में हो चुका है. आनंदी की कथा एक प्रखर स्त्री और उसके अनूठे पति की है. आनंदी गोपाल (1865-1887) का विवाह नौ वर्ष की आयु में पच्चीस वर्ष के गोपाल जोशी के साथ हुआ, जिन्हें सिर्फ़ एक ही ज़िद थी कि अपनी पत्नी को ज़्यादा-से-ज़्यादा पढ़ाऊं. उन्होंने पुरातनपंथी ब्राह्मण-समाज का तिरस्कार झेला, पुरुषों के लिए भी निषिद्ध, सात समंदर पार अपनी पत्नी को अमरीका भेज कर उसे पहली भारतीय महिला डॉक्टर बनाने का इतिहास रचा. कितने ही दुख उठाकर आर्थिक, शारीरिक कष्ट झेलकर भी आनंदी का अपनी देशवासी बहनों का इलाज़ करने का सपना पूरा न हो सका. कुल जमा बाईस वर्ष की आयु में आनंदी का निधन हो गया. यह कथा आनंदी की है साथ ही सौ-सवा सौ वर्ष पुराने भारतीय हिंदू-समाज का दर्पण और एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ भी.
(पृष्ठः 312) ISBN- 81-87524-97-9हार्डबाउंडः 350/ पेपरबैकः 125/

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