गुरुवार

ज्यां-पाल सार्त्र

सार्त्र का सच लेखकः युगांक धीर
(ज्यां-पाल सार्त्र के जीवन की कथा)बीसवीं सदी के साहित्यिक मसीहाओं में ज्यां-पाल सार्त्र का नाम सबसे ऊपर रहा है। वे साहित्यकारों के साहित्यकार और दार्शनिकों के दार्शनिक माने जाते हैं. उनका लेखन और दर्शन जितना प्रभावशाली था, उनका व्यक्तित्व और व्यक्तिगत जीवन भी उतना ही अनूठा और लीक से हटकर था. सार्त्र ने साहित्य और दर्शन को सिर्फ़ रचा ही नहीं, उन्होंने साहित्य और दर्शन को जिया भी. उनके जीवन का हर क्षण एक साहित्यकार का क्षण था, उनके जीवन की हर गतिविधि एक दार्शनिक की गतिविधि थी. उनके प्रेम-संबंध, उनकी मित्रताएं, उनका गृहस्थ-जीवन - सब कुछ उनके साहित्य और दर्शन का विस्तार मात्र था - ‘द सेकेंड सेक्स’ की लेखिका और महान नारीवादी विचारक सिमोन द बोवुआर के साथ उनकी आधी मित्रता और आधे प्रेम सहित!द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के विश्व को अपनी लेखनी और अपने दर्शन से सबसे ज़्यादा प्रभावित करने वाले - और दुनिया के बड़े-बड़े राजनेताओं और विचारधाराओं के लिए एक प्रेरणास्रोत की भूमिका निभाने वाले - ज्यां-पाल सार्त्र की अंतरंग जीवन-कथा. उनके व्यक्तित्व की तरह ही अत्यंत रोचक और रोमांचक शैली में प्रस्तुत! (प्रकाश्य)

अमिताभ बच्चन

अमिताभ की संघर्ष-कथा लेखकः युगांक धीर
(अमिताभ बच्चन के बनने की कहानी)अमिताभ बच्चन सफलता और प्रसिद्धि के सबसे ऊंचे शिखरों का पर्याय बन चुके हैं. लेकिन इस सफलता और प्रसिद्धि के पीछे एक अत्यंत रोमांचक संघर्ष-कथा छिपी हुुई है. उनकी सफलता जितनी अद्वितीय और अविश्वसनीय है, उनका संघर्ष भी उतना ही अनूठा और अद्भुत था. उनके व्यक्तित्व में वे कौनसी विशिष्टताएं थीं, जिन्होंने उनके संघर्ष को जितना पीड़ाजनक बनाया, उतना ही अविस्मरणीय भी? और वे कौनसी विशिष्टताएं थीं, जिन्होंने अंततः उन्हें ‘अमिताभ बच्चन’ बनाया?अमिताभ बच्चन के संघर्ष के दिनों के रोमांस को पुनर्जीवित करती हुई - उनकी असफलताओं और सीमाओं को टटोलती हुई - और सफलता की ऊंचाइयों की तरफ उनकी रोमांचक-यात्रा का पुनरावलोकन करती हुई - एक अत्यंत रोचक, विचारोत्तेजक और किसी उपन्यास की तरह दिल थामकर पढ़ने योग्य पुस्तक!

(पृष्ठः 144) ISBN- 81-87524-86-3हार्डबाउंडः 150/ पेपरबैकः 100/

बुधवार

आनंदी गोपाल

लेखकः श्री. ज. जोशी, अनुवादः प्रतिमा दवे
(एक अनूठी स्त्री के विलक्षण जीवन पर आधारित जीवनीपरक उपन्यास)‘आनंदी गोपाल’ जीवनीपरक उपन्यास है. यह मराठी साहित्य में ‘क्लासिक’ माना जाता है और इसका अनुवाद कई भाषाओं में हो चुका है. आनंदी की कथा एक प्रखर स्त्री और उसके अनूठे पति की है. आनंदी गोपाल (1865-1887) का विवाह नौ वर्ष की आयु में पच्चीस वर्ष के गोपाल जोशी के साथ हुआ, जिन्हें सिर्फ़ एक ही ज़िद थी कि अपनी पत्नी को ज़्यादा-से-ज़्यादा पढ़ाऊं. उन्होंने पुरातनपंथी ब्राह्मण-समाज का तिरस्कार झेला, पुरुषों के लिए भी निषिद्ध, सात समंदर पार अपनी पत्नी को अमरीका भेज कर उसे पहली भारतीय महिला डॉक्टर बनाने का इतिहास रचा. कितने ही दुख उठाकर आर्थिक, शारीरिक कष्ट झेलकर भी आनंदी का अपनी देशवासी बहनों का इलाज़ करने का सपना पूरा न हो सका. कुल जमा बाईस वर्ष की आयु में आनंदी का निधन हो गया. यह कथा आनंदी की है साथ ही सौ-सवा सौ वर्ष पुराने भारतीय हिंदू-समाज का दर्पण और एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ भी.
(पृष्ठः 312) ISBN- 81-87524-97-9हार्डबाउंडः 350/ पेपरबैकः 125/

वॉन गॉग

लस्ट फॉर लाइफ लेखकः इरविंग स्टोन, अनुवादः अशोक पांडे
(महान कलाकार वॉन गॉग के जीवन पर आधारित उपन्यास)विश्व के महान चित्रकार वॉन गॉग के जीवन पर लिखा इरविंग स्टोन का यह उपन्यास दशकों से दुनिया भर में करोड़ों पाठकों द्वारा पढ़ा गया है। वह जीवन कैसा था, जिसने वॉन गॉग को आधुनिक कला का एक मिथक बना दिया? क्या था उन रंग-रेखाओं में और वह कहां से आया था? शायद जि़्ांदगी के गहन अतल से उठी वह एक आवाज़्ा थी - पीड़ा के बेछोर विस्तार में गूंजी एक करुणा थी - जिसने वॉन गॉग की कूची से उभरे रंगों में जगह पाई. अद्भुत था उसका जीवन और असामान्य था उसका सृजन! एक कलाकार के निर्मित होने की यह कथा एक मनुष्य का समूचा अंतस्तल और एक पूरे दौर को अपने में समेटे हुए है. एक असाधारण जीवन का रोचक व मर्मस्पर्शी आख्यान.
(पृष्ठः 464) हार्डबाउंडः 550/ पेपरबैकः 175/

सुकांत-कथा

लेखकः डॉ. अशोक भट्टाचार्य, अनुवादः उत्पल बैनर्जी
(क्रांतिकारी बांग्ला कवि सुकांत भट्टाचार्य की जीवनी)सुकांत भट्टाचार्य बांग्ला की आधुनिक कविता की एक प्रखर संभावना थे। अकाल मृत्यु ने उन्हें अधिक समय नहीं दिया. अपने छोटे-से ही रचनाकाल में उन्होंने वे कविताएं लिखीं, जिनसे उन्हें समूचे देश में नवयुग के कवि के रूप में एक पहचान मिली. पिछले कई दशकों से देश की तमाम भाषाओं में अनूदित होकर उनकी कविता ने क्रांतिकारी चेतना के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसी नाते वे हिंदी कविता के लिए भी एक आत्मीय स्मरण हैं. उनकी इस जीवन-कथा में बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध का कलकत्ते का मध्यवर्गीय जीवन और सामाजिक व राजनीतिक उथल-पुथल का एक खाका है - और इन सबके बीच निर्मित होते एक रचनाकार की विकास-प्रक्रिया और उसका अंतरजगत्. हमारे युग के एक महत्त्वपूर्ण कवि की मर्मस्पर्शी जीवन-कथा.
(पृष्ठः 96) ISBN- 81-87524-89-8हार्डबाउंडः 150/ पेपरबैकः 60/

काफ्का के संस्मरण

लेखकः गुस्ताव जैनुक, अनुवादः वल्लभ सिद्धार्थ
(फ्रांज काफ्का का जीवन और विचार)
बीसवीं सदी के महान लेखक फ्रांज़् काफ्का के जीवन, व्यक्तित्व और रचना-जगत् की आत्मीय दुनिया इस पुस्तक में खुलती है. गुस्ताव जैनुक युवा लेखक थे, जिन्हें फ्रांज़्ा काफ्का के आख़िरी बरसों में उनकी निकटता हासिल हुई थी. जैनुक ने उन्हीं दिनों काफ्का से हुई अपनी मुलाक़ातों का ब्योरा लिख छोड़ा था. ये मुलाक़ातें युग के महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर काफ्का के विचारों की साक्षी बनीं. इनमें साहित्य, समाज, इतिहास से लेकर व्यक्तिगत जीवन तक ढेरों विषयों और मुद्दों पर काफ्का की गहरी दृष्टि का परिचय मिलता है. जैनुक ने उन दिनों को और काफ्का के अंतरजगत को इतने तादात्म्य के साथ लिखा है कि यह रचना स्वयं एक सृजनात्मक अनुभव का साक्षात् बन गई है.
(पृष्ठः 160) ISBN- 81-87524-99-५ हार्डबाउंडः 160/ पेपरबैकः 80/

रामप्रसाद विस्मिल

लेखकः रामप्रसाद बिस्मिल
फांसी के फंदे से लिखी गई भारत के अमर शहीद महान क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल ने कालकोठरी में फांसी पर झूलने के तीन दिन पहले यह आत्मचरित्र लिखा था-- यह आत्मचरित्र देशवासियों के प्रति कर्तव्य भावना के कारण लिखा गया, पर विडंबना यह है कि आज़ादी के इतने बरसों बाद भी यह सुलभ नहीं है। उनकी शहादत के 75 वें बरस पर प्रस्तुत है यह अमर गाथा- जिसके शब्द-शब्द मंे एक पुकार है, एक प्रेरणा है. यह आत्मकथा भारत के क्रांतिकारी आंदोलन के मार्मिक पहलुओं का स्पर्श करती है.
(पृष्ठः 112) हार्डबाउंडः 150/ पेपरबैकः 60/ (प्रकाश्य)