बुधवार

रामप्रसाद विस्मिल

लेखकः रामप्रसाद बिस्मिल
फांसी के फंदे से लिखी गई भारत के अमर शहीद महान क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल ने कालकोठरी में फांसी पर झूलने के तीन दिन पहले यह आत्मचरित्र लिखा था-- यह आत्मचरित्र देशवासियों के प्रति कर्तव्य भावना के कारण लिखा गया, पर विडंबना यह है कि आज़ादी के इतने बरसों बाद भी यह सुलभ नहीं है। उनकी शहादत के 75 वें बरस पर प्रस्तुत है यह अमर गाथा- जिसके शब्द-शब्द मंे एक पुकार है, एक प्रेरणा है. यह आत्मकथा भारत के क्रांतिकारी आंदोलन के मार्मिक पहलुओं का स्पर्श करती है.
(पृष्ठः 112) हार्डबाउंडः 150/ पेपरबैकः 60/ (प्रकाश्य)

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