बुधवार

राहुल सांकृत्यायन

समय साम्यवादी भाग-1 व भाग- २
लेखकः विष्णुचंद्र शर्मा
प्रख्यात लेखक, यायावर, दार्शनिक राहुल सांकृत्यायन की जीवनी
भारत में बीसवीं सदी का आरंभ भविष्य के कई संभावना भरे सपनों के साथ हुआ था। समूचे समाज में एक सृजनात्मक गतिशीलता थी। उस दौर में कुछ व्यक्ति थे जो इस संभावना, गतिशीलता और सपनों के प्रतीक बन गए थे. उनका जीवन भारतीय जनता के नव-निर्माण की कार्यशाला था. ऐसे ही एक व्यक्ति थे - राहुल सांकृत्यायन, जिनकी जीवन-कथा हिंदुकुश पर्वतों से लेकर वोल्गा-तट के शहरों और तिब्बत के पठारों से लेकर राइन और टेम्स के पार तक नव-युग की पीठिका रचती रही. वे यायावर थे, लेखक थे, इतिहासकार थे, स्वातंत्र्य-संग्राम के कर्मठ सेनानी थे, भारतीय वाम-चेतना के शिल्पकार थे. उनका जीवन कई-कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का प्रकाश-स्तंभ रहा.इस जीवनी में राहुल के बहुआयामी जीवन, उनके कृतित्व और युग का प्रामाणिक ब्योरा दर्ज है. जीवनी के प्रथम भाग में राहुल के बचपन, युवावस्था और जीवन के कर्मक्षेत्र के संघर्षों की कथा है. द्वितीय भाग में राहुल के सोवियत संघ के अनुभवों, भारत की आज़्ाादी के लड़ाई में उनकी हिस्सेदारी, और रचनात्मक संघर्ष की कहानी है. एक प्रेरक जीवन की प्रेरक गाथा.

(पृष्ठः 336) ISBN- 81-87524-74-x हार्डबाउंडः 350/ पेपरबैकः 140/(पृष्ठः 288) ISBN- 81-87524-75-8 हार्डबाउंडः 350/ पेपरबैकः 110/

1 टिप्पणी:

विकाश आनन्द ने कहा…

यह किताब चाहिये। कैसे मिलेगी