बुधवार

सुकांत-कथा

लेखकः डॉ. अशोक भट्टाचार्य, अनुवादः उत्पल बैनर्जी
(क्रांतिकारी बांग्ला कवि सुकांत भट्टाचार्य की जीवनी)सुकांत भट्टाचार्य बांग्ला की आधुनिक कविता की एक प्रखर संभावना थे। अकाल मृत्यु ने उन्हें अधिक समय नहीं दिया. अपने छोटे-से ही रचनाकाल में उन्होंने वे कविताएं लिखीं, जिनसे उन्हें समूचे देश में नवयुग के कवि के रूप में एक पहचान मिली. पिछले कई दशकों से देश की तमाम भाषाओं में अनूदित होकर उनकी कविता ने क्रांतिकारी चेतना के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसी नाते वे हिंदी कविता के लिए भी एक आत्मीय स्मरण हैं. उनकी इस जीवन-कथा में बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध का कलकत्ते का मध्यवर्गीय जीवन और सामाजिक व राजनीतिक उथल-पुथल का एक खाका है - और इन सबके बीच निर्मित होते एक रचनाकार की विकास-प्रक्रिया और उसका अंतरजगत्. हमारे युग के एक महत्त्वपूर्ण कवि की मर्मस्पर्शी जीवन-कथा.
(पृष्ठः 96) ISBN- 81-87524-89-8हार्डबाउंडः 150/ पेपरबैकः 60/

1 टिप्पणी:

उमा ने कहा…

पुस्तक कैसे मिल सकती है.